Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 51 ( Welcome Party-4)

"कौन है साला, जो अपुन को टच करिन्गा...."अपनी चेयर से उठकर मैं अरुण के सामने खड़ा हुआ, तब मुझे पता चला कि मैं ढंग से खड़ा भी नही हो सकता...मेरा पूरा शरीर किसी पेंडुलम की तरह इधर -उधर डोल  रहा था....

"अबे ये हिल रहा रहा है..,बैठ जा चुप चाप"

उस वक़्त वहाँ चल रहे म्यूज़िक सिस्टम का साउंड बहुत ज़्यादा था,इसलिए हम कितना भी चिल्ला लें, आवाज़ हमारे बीच ही घूम रही थी, मुझमे जब खड़े रहने की और शक्ति नही बची तो अरुण जिस कुर्सी पर बैठा था,उसे पकड़ कर मैं बोला..

."....आ ज्ज्ज्ज्बजज्ज ककककक ...."

मै कुछ नही बोल पाया.... मूह खुला और बंद हो गया....

"क्या..."

"क..कुछ..."मैं चुप चाप अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गया, साला ये तो परेशानी हो गयी, दारू पीने के बाद तो मैं जैसे गूंगा ही हो गया था....बड़ी मुश्किल से इशारे पे इशारे करके किसी तरह मैने अरुण को समझाया कि मैं कुछ बोल नही पा रहा हूँ....

"होता है...होता...फर्स्ट टाइम अयिसिच होता है..."

"कुछ करना..."इशारे से मैने कहा...

"इसका एक ही इलाज़ है......लंगर डांस. जब लंगर डांस करते हुए... जब बाकियो को बेमतलब माँ बहन की गाली देगा तो तेरी जुबान खुल जायेगा... "

फिर क्या था, हमने कुछ लड़को को राज़ी किया और फिर नाचने लगे पीछे, अरुण तो कुर्सी उठाकर नाचने लगा.....

"सब बकलोल है यहाँ...."जब मेरी आवाज़ वापस आई तो मैं गला फाड़ के चिल्लाया,...

"बैठो बे..."किसी एक को झापड़ मारकर गौतम ने बैठाया...सब टनटना  के तुरंत  बैठ गये, सिर्फ़ मेरे और अरुण के सिवा...अरुण ने जो चेयर अपने उपर उठा रखी थी,उसे वही फेक कर मेरे पास आया....

"ज़यादा चर्बी चढ़ि है क्या,..."मुझे धक्का देकर गौतम ने कहा और मैं दूर फेका गया, शरीर पर मेरा कंट्रोल नही था,,,,

" उठाओ बे..."नीचे पडे -पडे मैने अपने दोस्तों से मुझे उठाने की गुहार लगायी

जैसे तैसे मैं अपने पैरो पर खड़ा हुआ और गौतम की तरफ बढ़ा....

"तेरा घर कितनी दूर है यहाँ से..."मैने पुछा...

"15 कि.मी. "

"और वजन ."

"वजन...? 65 ,क्यूँ कुश्ती लड़ेगा क्या.. साला  बेवड़ा... सस्ती शराब पीकर हंगामा कर रहा था.. सबके सामने झाड़ दिया, अब क्या रह गई तेरी इज्जत ."हँसते हुए उसने कहा...

"आई ले, 65 kg  का मुक्का..."बोलते हुए मैने अपनी पूरी ताक़त से गौतम के थोबड़े मे मुक्का मारा ....."पहले भी समझाया था, आज भी समझा रहा हूँ... लेकिन अगली बार नही समझाऊंगा... इसलिए नेक्स्ट टाइम, हाथ लगाने से पहले ये देख लेना कि सामने कौन खड़ा है..."

"और मार मार साले को... कुर्सी पटक दे उसके ऊपर.. सर मे पेशाब कर दे उसके.. "अरुण दूर से चिल्लाता हुआ बोला...

"उसकी जरूरत है.. Game Over, I Won... वैसे तु है कहा बे... दिख नही रहा "

मुझे किसी ने कुछ नही बोला, सारे सीनियर्स अपना हाथ मसल कर  रह गये, शायद उनके दिमाग़ मे ये बात गांठ बाँध चुकी थी  कि उनके घर का रास्ता हमारे हॉस्टल  से होकर गुज़रता है.....

उसके बाद ना तो सीनियर्स हमे रोकने आए और ना ही हमने कोई उधम मचाया, उसके बाद का प्रोग्राम बहुत शांति से बीता,...

"चल आजा पेट भर के आते है, मैने तो दोपहर को खाना भी नही खाया ,इस चक्कर मे कि रात को चकाचक मस्त खाना मिलेगा..."अरुण ने मुझे पकड़ कर घसीटा, मैं अब भी लड़खड़ा रहा था,...

शुरू मे मैने अरुण को मना कर दिया कि मैं खाना नही खाउन्गा, मुझे भूख नही है...लेकिन जब खाने बैठा तो बस ख़ाता ही चला गया,... ख़ाता ही चला गया. भूख नही थी, लेकिन फिर भी हाथ आटोमेटिक खाने की प्लेट की तरफ बढ़ते और खाने का निवाला लाकर मेरे मुँह मे छोड़ जाते, जिसके बाद मुँह भी आटोमेटिक खाने को चाबकर पेट तक पंहुचा दे रहा था. पेलम पेल खाना खाने के बाद सब अपने - अपने घर की तरफ रवाना होने लगे. मैं , bhu और अरुण भी उस तरफ बढ़े,जहाँ हमने बाइक खड़ी की थी.....
"पेला गये बेटा,..."

"क्या हुआ.."

"नवीन भाग गया पहले ही, अब तो पैदल ही जाना पड़ेगा..."

"हिम्मत नही मेरे पास, मुझे उठाकर ले चलो..."मैं वही सीसी के पार्किंग मे ज़मीन पर धड़ाम से बैठा ....

"एक काम करते है,  अरमान... मै और bhu अभी रात मे जाते है...  तु रात भर यही मस्त सो.. हम तुझे सुबह आके ले जाएँगे..."

"अबे तेरी.... सुबह मैं खुद नही आ जाउन्गा और इसे क्या हुआ है..?."जब मैं सर नीचे करके वहाँ पार्किंग मे  बैठा बक -बक कर रहा था  तब एक लड़की की आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी...मैने उपर देखा...कोई जानी पहचानी सी शकल थी....

"मस्त माल है तू..."उस लड़की को देखकर मैने कहा.."चल आजा झाड़ी के पीछे..."

"तुम दोनो इसे उठाओ, मैं इसे स्कूटी मे हॉस्टल  छोड़ के आती हूँ..."कहते हुए उस लड़की ने अरुण और bhu को मुझे उठाने के लिए कहा...

जब मैं खड़ा हुआ और गौर से उस लड़की को देखा तो मालूम चला कि वो तो दीपिका मैम  थी,...

"सॉरी मैम ..."मैने बस इतना कहा...

"कल तुम्हारी सारी सॉरी क्लास मे सबके सामने निकलती हूँ.. बहुत बकवास करने लगे हो ."

उसके बाद का मुझे कुछ याद नही था, स्कूटी मे बैठकर जो आँख लगी,वो सीधे सुबह आँखो मे पड़ती धूप के कारण खुली......मैने उपर नज़र घुमाई तो आसमान था,अगल बगल जंगल ,सामने राख जमा थी, जिसमे से हल्का हल्का धुआ अब भी  निकल रहा था....और आँखे तब फटी की फटी रह गयी जब जब मैने देखा कि मेरे शरीर मे पैंट ही नही है, मैं कमर के नीचे बिल्कुल नंगा था.... और ये धुंआ...? कही मैने दीपिका मैम को काट -काट कर जिन्दा तो नही जला दिया...? शराब के नशे मे...? मेरा कोई भरोषा भी नही... वैसे भी ये बहुत पुराना प्लान है मेरा किसी को मारने के बाद बॉडी गायब करने का.. क्या मैने कल रात... दीपिका मैम को......??????? और ये अरुण और bhu भी तो यही है... शायद यही इस राज से पर्दा फाड़ कर सब कुछ क्लियर कर सकते है...

"अरुण....कुत्ते.."

"इधर हूँ..."एक मरी हुई सी आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी...मैने अपने कमर के नीचे वाले प्राइवेट पार्ट को हाथो से ढँक लिया और अरुण की तरफ बढ़ा, उसके बगल मे bhu लेटा था, ,जिसने अपने सर पर  मेरे पैंट को मुकुट की तरह बाँध  रक्खा था...

"तेरा किसी ने रेप कर दिया...?"आँखे मलते हुए उसने कहा....

To Be Continued....😁😎


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3 Comments

Kaushalya Rani

26-Nov-2021 06:42 PM

Omg. ...

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Barsha🖤👑

26-Nov-2021 05:50 PM

रोमांचक भाग

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Seema Priyadarshini sahay

14-Sep-2021 09:56 PM

खूबसूरत भाग

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